Category: Theatre

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आजादी की दीवानी दुर्गा भाभी

समीक्षा — अनिल गोयल भारतवर्ष को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिये एक लम्बा संघर्ष चला था. इस में अठारहवीं-उन्नीसवीं शताब्दी में बंगाल में हुए सन्यासियों के विद्रोह से ले कर 1947 तक...

पश्मीना – दर्द का रिश्ता

पश्मीना – दर्द का रिश्ता— अनिल गोयल हिन्दी में नया नाट्य-लेखन बहुत कम हो रहा है. जब हिन्दी साहित्य के मठाधीश नाटक को साहित्य की विधा ही नहीं मानते, तो इस में बहुत आश्चर्य...

आपदा-काल में भास का सहारा

‘आपदा को अवसर में बदलना’ – आजकल यह उक्ति प्रायः सुनने को मिल जाती है. आज के समय की जीवित स्मृति में सबसे बड़ी आपदा रही करोना. सब लोग अपने-अपने घरों के अन्दर बन्द...

गली दुल्हन वाली

गली दुल्हन वाली टिप्पणी — अनिल गोयल दिल्ली की रामलीला से अपने अभिनय-जीवन का प्रारम्भ करने वाले सुभाष गुप्ता 1975 में ‘नाटक पोलमपुर का’ में समरू जाट की भूमिका से ‘अभियान’ रंगसमूह से जुड़े....

मन के भँवर

मन के भँवर— अनिल गोयल हिन्दी में नाटकों की कमी का रोना रोते रहना हमारे रंगकर्मियों का प्रिय व्यसन है, जबकि हजारों नाटक हिन्दी में लिखे गये हैं. लगभग पाँच दशक पूर्व लिखी गई...