Author: Anil Goel

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सुख भरी नींद का सपना

सुख भरी नींद का सपना – एक नया बिदेसिया      — अनिल गोयल “हियाँ के गाँव और गाँवन के जैसे नईं लगत ऐं!” खिड़की के बाहर तेजी से भागते, पीछे छूटते मकानों, दुकानों, खलिहानों...

निर्जन कारावास

समीक्षक — अनिल गोयल हिन्दी में मूल नाटकों के अभाव की बात सदैव से कही जाती रही है. ऐसे में किसी नये नाटक का आना अवश्य ही स्वागत-योग्य कहा जायेगा! ‘जयवर्धन’ के नाम से...

हरियाणवी संस्कृति का एक नया अध्याय

लेखक – अनिल गोयल 1968 में बनी पहली फिल्म ‘धरती’ से होता हुआ हरियाणवी फिल्म उद्योग ‘चंद्रावल’ (1984) और ‘लाडो बसन्ती’ से होता हुआ आज ‘दादा लखमी चन्द’ तक आ पहुँचा है। इस बीच...

प्रेम रामायण

लेखक: अनिल गोयल महरषि वाल्मीकि की रामायण ने पिछले लगभग सात-आठ हजार वर्षों में कितने ही रूप धारे हैं. हर काल में वाल्मीकि–रचित इस महाकाव्य को हर कोई अपने तरीके से सुनाता चला आया...