Category: Prose

image_pdfimage_print

आत्महत्या और संस्कृतियों का विमर्श / अनिल गोयल

आत्महत्या और संस्कृतियों का विमर्श: NSD डिप्लोमा की विवेचना समीक्षा: अनिल गोयल (लेख थोड़ा ज्यादा लम्बा हो गया है, इसे पढ़ने के लिये थोड़े धैर्य की आवश्यकता रहेगी)।          मनुष्य द्वारा किये गये पापों...

Voicing Gender Fluidity

Maharashtra Sanskritik Sandhya at IIC A review by Manohar Khushalani First Published in IIC Diary Maharashtra Sanskritik Sandhya,  is an annual feature at IIC. This year, they presented dramatized readings, Beyond Gender, on LGBTQ...

अलविदा त्रिपुरारी शर्मा

विदाई सूचक: हिमांशु बी. जोशी नब्बे के दशक की शुरुवात में मैं जब दिल्ली आया था तो उस वक्त राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के वरिष्ठ अभिनेताओं श्रीवल्लभ व्यास जी और रवि खानविलकर जी की...

किसका मोती, किसकी झोली?

किसका मोती किसकी झोली बचपन में देखा था उसे पहली बार।उसकी माँ हमारे यहाँ काम करती थी। एक दिन संग बेटी को ले आई। बोली,”आज कुछ हरारत सी लगे है बीबी जी। इसे ले...

Every Human is an artist

Every human is an artist, a storyteller with a unique point of view.When we see ourselves as artists, we no longer feel the need to impose our views on others or to defend what...

सुख भरी नींद का सपना

सुख भरी नींद का सपना – एक नया बिदेसिया      — अनिल गोयल “हियाँ के गाँव और गाँवन के जैसे नईं लगत ऐं!” खिड़की के बाहर तेजी से भागते, पीछे छूटते मकानों, दुकानों, खलिहानों...