Author: Admin

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भारतीय इतिहास की एक भूली-बिसरी कहानी ‘वीर गोकुला’

वीर गोकुला समीक्षा: अनिल गोयल 18 अगस्त 2025 को देव फौजदार ने दिल्ली के एल.टी.जी. प्रेक्षागृह में भारतीय इतिहास की एक भूली-बिसरी कहानी ‘वीर गोकुला’ प्रस्तुति की।  धर्मान्ध औरंगजेब के अत्याचारों से बृज क्षेत्र...

अपने बेटों के अँधेरे जीवन में रंग भरते पिता का संघर्ष है फ़िल्म- रंगीली

अपने बेटों के अँधेरे जीवन में रंग भरते पिता का संघर्ष है फ़िल्म- रंगीली समीक्षा:डॉ तबस्सुम जहां अभी हाल ही मे स्टेज ऐप पर रिलीज़ फ़िल्म ‘रंगीली’ बहुत चर्चा मे रही। रंगीली शब्द आते...

सेना – गार्जियंस ऑफ़ द नेशन : सैन्य जज़्बे व पिता पुत्र के मार्मिक रिश्ते को दिखाती लाजवाब वेबसीरीज़

लेख: डॉ अल्पना सुहासिनी इस बार हमने आज़ादी का जश्न मनाया बहुचर्चित वेब सीरीज; “सेना – गार्जियंस ऑफ़ द नेशन” देखकर। इस पावन पर्व पर यदि देशभक्तिपूर्ण वेब सीरीज देखने को मिल जाए तो...

डॉ लईक हुसैन के निर्देश में साहिर लुधियानवी की नज़्म ‘परछाइयां’ की  प्रस्तुति सारी सराहनाओं से ऊपर

Review By: Dr. Durga Prasad Agrwal 8 मार्च 1921 को लुधियाना में जन्मे साहिर लुधियानवी जितना अपने फ़िल्मी गीतों के लिए जाने जाते हैं उतना ही, या शायद उससे भी ज़्यादा अपनी ग़ैर फिल्मी...

घर की बात’ वेबसीरीज़।

समीक्षा तबस्सुम जहां ‘घर की बात’ वेबसीरीज़। भरपूर मनोरंजन के साथ हरियाणवी सिनेमा में पहली बार हरियाणवी अर्बन का पदार्पण।डॉ तबस्सुम जहां जब भी हम हरियाणवी फिल्मों या वेब सीरीज की बात करते हैं...

दो दिवसीय बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल संपन्न हुआ।

समीक्षा तबस्सुम जहां मुंबई के वेदा कुनबा में 8 और 9 मार्च दो दिवसीय बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल संपन्न हुआ। बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के फाउंडर बॉलीवुड एक्टर यशपाल शर्मा और प्रतिभा शर्मा हैं...

दिल्ली में अभिभावक Vagish K Jha नहीं रहे।

Vagish K. Jha Orbituary by Neelesh Deepak मन बहुत दुखी है। शब्द नहीं है मेरे पास। मन बहुत भारी लग रहा है। मेरे गुरु, बड़े भाई और दिल्ली में अभिभावक Vagish K Jha नहीं...

वेश्यावृत्ति के दलदल से निकलने को बेताब “पिंजरे की तितलियां”
डॉ तबस्सुम जहां।

वेश्यावृत्ति के दलदल से निकलने को बेताब “पिंजरे की तितलियां” समीक्षा डॉ तबस्सुम जहां। पिछले बरस देश विदेश में 10 से ज़्यादा राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में अवार्ड अपने नाम कर चुकी फ़िल्म ‘पिंजरे...

बाबूजी

समीक्षा: अनिल गोयल समाज में हर व्यक्ति के चेहरे के दो चेहरे हुआ करते हैं – एक प्रत्यक्ष और दूसरा परोक्ष. प्रत्यक्ष चेहरा तो सबके सामने होता है, सबको नजर आता है. लेकिन परोक्ष...

वेश्यावृत्ति के दलदल से निकलने को बेताब “पिंजरे की तितलियां”

समीक्षा:डॉ तबस्सुम जहां। पिछले बरस देश विदेश में 10 से ज़्यादा राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में अवार्ड अपने नाम कर चुकी फ़िल्म ‘पिंजरे की तितलियाँ’ अपने बोल्ड विषय को लेकर ख़ासी चर्चा बटोर रही...