सेना – गार्जियंस ऑफ़ द नेशन : सैन्य जज़्बे व पिता पुत्र के मार्मिक रिश्ते को दिखाती लाजवाब वेबसीरीज़
लेख: डॉ अल्पना सुहासिनी

इस बार हमने आज़ादी का जश्न मनाया बहुचर्चित वेब सीरीज; “सेना – गार्जियंस ऑफ़ द नेशन” देखकर।
इस पावन पर्व पर यदि देशभक्तिपूर्ण वेब सीरीज देखने को मिल जाए तो क्या ही बात है। अमेज़न एमएक्स प्लेयर पर आई वेब सीरीज़, “सेना – गार्जियंस ऑफ़ द नेशन” बहुत ही शानदार, दमदार, मार्मिक, संवेदनशील वेब सीरीज है। एक भावुक और प्रेरणादायक सीरीज़ है, जिसमें देशभक्ति, परिवार और व्यक्तिगत बलिदान को सजीवता से पेश किया गया है। यदि आप प्रेरणादायक सैन्य-ड्रामा ढूँढ रहे हैं जो भावनात्मक रूप से प्रभावी हो — तो यह आपकी सूची में शीर्ष पर जगह बना सकती है।
“IIT के बाद हमने लोगों को बैंक में नौकरी करते देखा है। राइटर बनते देखा है। कॉमेडियन बनते देखा है। स्टार्टअप बिजनस शुरू करते देखा है। लेकिन क्या किसी ने IIT करके आर्मी जॉइन किया है?” कार्तिक शर्मा से उसके पिता का ये सवाल वर्तमान के उन सब पिताओं का सवाल है जो अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर तो बनते देखना चाहते हैं लेकिन सेना में भेजने का साहस नहीं कर पाते। उस पिता का ये कहना कि यदि उसे सेना में भर्ती होना है, तो वर्दी और परिवार में से किसी एक को चुनना होगा।”, अपने इकलौते बच्चे को खो देने से आशंकित पिता के दर्द की अभिव्यक्ति है। साहस, बलिदान और अनकहे बंधनों की एक दिलचस्प कहानी का मिश्रण है यह वेब सीरीज। । द वायरल फीवर द्वारा निर्मित और अभिनव आनंद द्वारा निर्देशित, यह थ्रिलर वेब सीरीज़ आनंदेश्वर द्विवेदी द्वारा लिखित है। इसमें विक्रम सिंह चौहान, श्री यशपाल शर्मा जी ,शर्ली सेतिया, राहुल तिवारी, विजय विक्रम सिंह, अनुपम भट्टाचार्य, नीलू डोगरा जैसे कलाकार शामिल हैं।
यह वेब सीरीज दर्शकों को कार्तिक शर्मा नामक ऊर्जावान युवा की एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जहाँ वह कैलिफ़ोर्निया में एक शानदार करियर छोड़कर सैनिक बनना पसंद करता है लेकिन उसका यही फैसला उसके पिता के साथ टकराव का कारण बनता है। पिता और पुत्र संबंधों की यह सीरीज़ सशस्त्र सेना अकादमी की कठिन चयन प्रक्रिया बहुत बारीकी से सामने रखती है। सभी दृश्य बहुत वास्तविक बन पड़े हैं। तमाम विरोधों के बावजूद इन कठिन परीक्षाओं को सफलतापूर्वक पास करने के बाद, कार्तिक को कश्मीर के अस्थिर और अप्रत्याशित क्षेत्र में तैनात किया जाता है। हालाँकि, सीरीज में एक अप्रत्याशित मोड़ तब आता है जब उसे आतंकवादियों द्वारा पकड़ लिया जाता है। कार्तिक का किरदार एक दोहरी लड़ाई का सामना करता है जो न केवल उसके अपहरणकर्ताओं के खिलाफ है बल्कि भावनात्मक लड़ाई भी है जो वर्षों की चुप्पी ने उसके और उसके पिता के बीच पैदा कर दी है।
इस वेब सिरीज की सबसे बड़ी खासियत पिता और पुत्र के भावात्मक द्वंद और स्नेह के अटूट विश्वास की डोर की कहानी होना है। सीरीज में सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है पिता और पुत्र का रिश्ता। यशपाल शर्मा जी और विक्रम सिंह चौहान ने इस रिश्ते को नई ऊंचाइयां दी हैं।

अभिनय की दृष्टि से अगर देखें तो वाकई सलाम है यशपाल शर्मा जी को जिन्होने एक पिता की बेबसी, टूटन, भय, आत्मीयता, भोलेपन को इस शिद्दत से जिया है कि वे बस पिता (दीनदयाल शर्मा) ही नज़र आते हैं। एक जगह वे कहते हैं,”सैनिक बनना आसान नहीं है बेटा, लेकिन एक बार वर्दी पहन ली… तो फिर डर और थकान के लिए कोई जगह नहीं बचती।” अभी तक अधिकांश फिल्मों में जिस तरह यशपाल जी ने विलेन की भूमिकाओं को सशक्तता से निभाया है उससे इतर इस वेब सीरीज में एक पिता के मार्मिक किरदार को इतने शीर्ष तक लेकर गए हैं कि आंखों से आंसू अनवरत बहते रहते हैं, यशपाल जी को यूं ही “poet of acting”, नहीं कहा जाता ये वो अपने सर्वश्रेष्ठ अभिनय से समय समय पर साबित करते रहे हैं। उन्होंने दीनदयाल के किरदार को ऐसी जीवंतता और ऊंचाई दे दी है कि हम स्तब्ध रह जाते हैं। एक जगह अपने पुत्र को अपना लिखा पत्र देते हुए जिस मासूमियत से वे शर्माते हुए हंसते हैं शानदार दृश्य बन पड़ा है, क्योंकि आज भी भारतीय पिता अपने बच्चों से खुलकर अपने स्नेह को अभिव्यक्त नहीं कर पाते, एक अन्य स्थान पर जब पिता पुत्र दोनों को कैदी बना लिया जाता है पुत्र घिसटकर अपने पिता के कांधे पर सर रखता है और दोनों बिना कुछ बोले एक दूसरे से जो ऊर्जा लेते हैं वह दृश्य अभूतपूर्व है।
यशपाल जी के अलावा कार्तिक के किरदार में विक्रम सिंह चौहान ने भी अपने अभिनय की जीवंतता से चौंका दिया। वर्तमान पीढी का ऐसा युवा जो इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ही नहीं वरन अपने साहस और जांबाजी के चलते आर्मी में जिस सशक्तता से खुद को साबित करता है वह सभी युवाओं का आदर्श बन जाता है। विक्रम जी ने अपने किरदार को इतनी ईमानदारी और मेहनत से जिया है की दिल जीत लिया। साथ ही दीनदयाल की की पत्नी बनीं नीलू डोगरा की अभिनय की सहजता दिल छू लेती है। हमजा के किरदार में राहुल तिवारी जी ने कमाल काम किया है उनके किरदार में ग्रे शेड अंत तक पता नहीं चलने देती कि वास्तविकता में वे क्या हैं।
इस शो की खासियत इसमें वास्तविक सेना के दिग्गजों का भी शामिल किया जाना हैं। वेब सीरीज के कई दृश्य इतने कमाल बने हैं कि लंबे समय तक ज़हन में बस जाते हैं, एक दृश्य में जब भागते समय पिता घायल हो जाते हैं। कार्तिक उन्हें अपनी पीठ पर उठाकर चलता है।,यह पल दर्शकों के लिए सबसे भावुक क्षणों में से एक है ऐसे दृश्य सिहरन पैदा करते हैं आंसू रोके नहीं रुकते। पूरी वेब सीरीज भावनाओं का ऐसा उद्वेलन पैदा करती है कि अंत तक हम उन्हीं भावों में डूबते उतराते हैं।
यह वेब सीरीज राजनैतिक हथकंडों पर भी कई सवालिया निशान लगाती है हमजा का ये कहना कि हम तो बस सरकारों के मोहरे हैं, कहीं न कहीं राजनैतिक हक़ीक़त की ओर इशारा करता है। यह वेब सीरीज इसलिए भी देखी और दिखाई जानी जरुरी है कि वर्तमान की आरामतलब ज़िंदगी के शौकीन युवा जिस तरह आर्मी की ओर से विमुख हो रहे हैं उन्हें सीरीज़ यह दिखाती है कि जब भी राष्ट्र पुकारे, युवाओं को आगे बढ़कर योगदान देना चाहिए , चाहे सेना में हों या किसी अन्य क्षेत्र में।
यह संदेश है कि देशभक्ति सिर्फ़ नारों से नहीं, कर्मों से झलकती है।” सिरीज में माखनलाल चतुर्वेदी आदि कवियों की कविताओं के उद्धरण इसे और संवेदनशील बनाते हैं, इसके अलावा परिवारिक रिश्तों की अहमियत, साहस और धैर्य, स्वच्छ और सकारात्मक दृष्टि का संदेश भी यह सीरीज देती है। बेहद कसावटपूर्ण निर्देशन, शानदार वीडियोग्राफी, सटीक संवाद, शानदार अभिनय सब मिलकर वेब सीरीज को पुष्टता देते हैं। ये कहा जा सकता है कि वेब सीरीज की दुनिया का मास्टर पीस है यह वेब सीरीज। यह सीरीज़ सिर्फ़ एक आर्मी ड्रामा नहीं, बल्कि परिवार और देश दोनों के लिए समर्पण की कहानी है। इसलिए चूके नहीं, ज़रूर देखें।

लेख: डॉ अल्पना सुहासिनी
Excellent Review Sir
Heartfelt Greetings for touching this subject ! Very Touching
DK Sharma
खूबसूरत समीक्षा, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 🙏🙏🌸