कोलार के मूलनिवासियों का संघर्ष दिखाती है फ़िल्म थांगलान।

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डॉ तबस्सुम जहां

भारत के कर्नाटक राज्य का कोलार क्षेत्र जो सोने की खदान के लिए मशहूर है उस क्षेत्र के मूलनिवासी उसके पूर्वजों के खून से सने इतिहास को थांगलान फ़िल्म में दिखाया गया है। फ़िल्म दिखाती है कि कैसे अंग्रेज़ और ज़मींदार वहाँ के मूलनिवासियों को लगान, ब्याज और जुर्माना लगा कर उनकी ही ज़मीन से उन्हें बेदखल कर रहे हैं। दूसरे ब्राह्मणवाद और उससे उपजी वर्णव्यवस्था ने भी उनकी हालात दयनीय कर दी हैं। फ़िल्म की कहानी शुरू होती है एक असुर नाग जाति के थांगलान परिवार से। थंगलान का अर्थ होता है ‘सन ऑफ गोल्ड’ और फ़िल्म की कहानी भी सोने पर आधारित है। फ़िल्म का काल ब्रिटिश पीरियड में 1850 के आस पास दिखाया गया है।
फ़िल्म में दिखाया गया है कि मूलनिवासियों को उनके पुरखों की ज़मीन से बेदखल करके या तो उन्हें खड़ेदा जा रहा या उसी भूमि पर हमेशा के लिए गुलाम बनाया जा रहा है। मूलनिवासियों के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए उनके ही व्यक्तियों की मदद लेना, धोखे और झूठ से उनकी जमीन हड़प लेना, मूलनिवासियों का शोषण, ज़मीन और जंगल को बचाने की जद्दोजहद फ़िल्म थांगलान में देखी जा सकती है।
थांगलान अपने परिवार के साथ गाँव में रहता है और अपनी छोटी-सी भूमि में खेती करता है, गाँव का ज़मीदार उसके खेत में आग लगवाकर उसकी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लेता है। वह मान सम्मान से अपने और अपने परिवार के साथ रहना चाहता है। इसलिए अंग्रेज़ अफसर के साथ सोना ढूंढने निकल पड़ता है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि आरथी जो कि एक मायावी स्त्री है वह मायावी शक्ति के रूप में सोने की भूमि की रक्षा करती है। वह अपनी माया और जादू से अपनी भूमि को बाहरी लोगों से सुरक्षित रखती है। आरथी की मायावी सोने की चट्टान अभेद है जिसे कोई भेद नहीं सकता। जो भी इस क्षेत्र में आता है वह उसे मौत के घाट उतार देती है। कभी सांपों के जरिए कभी तूफानों के जरिए कभी काले बाघ के जरिए।
थांगलान अपनी बच्चों को अपने परदादा कोडियानी की कहानी सुनाता है कि वो नदी से कैसे सोना निकालते थे, उसी नदी के पार दूर हाथी की तरह एक पहाड़ है वहाँ सोने की चट्टाने हैं। फ़िल्म में सोने को पाने के लिए दो अंग्रेज अफसर कोलार के ही कुछ पारंपरिक लोगों की मदद लेते हैं। इस टकराव में पानी की तरह ख़ून बहता है और थांगलान और उसके साथियों को अच्छी खासी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
फिल्म का अंत बहुत दिलचस्प है और जीत कहीं ना कहीं मूलनिवासियों की दिखाई गई है जो की आभासी जान पड़ती है।
फिल्म निर्देशक पा. रंजीत द्वारा निर्देशित थंगालान के जी एफ (कोलार गोल्ड फील्ड) फ़िल्म देखते हुए लगता है जैसे किसी पौराणिक जगत या उनकी कहानियों की सैर कर रहे हों। पौराणिक और आज़ादी से पहले की जनजातिए घालमेल को डायरेक्टर ने बखूबी फिल्माया है। फ़िल्म के अनेक दृश्य बहुत लाजवाब बन पड़े हैं।
फ़िल्म में जातिगत भेदभाव दिखाया गया है इसमें ब्राह्मण वाद का विरोध और बुद्ध के प्रति आसक्ति दिखाई गई है। इसमें चोलराजाओं, टीपूसुल्तान और अंग्रेज सभी को विदेशी बताया है जो सोना चुराने की कोशिश करते रहे हैं। फ़िल्म की सबसे खास बात यह है कि इसमें मूलनिवासी को बुद्ध से जोड़ा गया है, और बताया गया है कि कैसे उनके ईष्ट बुद्ध को नष्ट किया गया। उनकी संस्कृति को नष्ट किया। फ़िल्म में आरथी बार-बार थांगलन के सपनों में आती रहती है जो असल में ईसा से 500 साल पहले थांगलान की पत्नी ही थी। दोनों पति-पत्नी मिलकर पहले सोने की रक्षा करते थे लेकिन थांगलान भटक गया और इसी वजह उसे सैकड़ो साल से जातिगत भेदभाव झेलने पड़े। इसके अलावा इसमें थांगलान का बेटा अशोक है जो सम्राट अशोक की ओर इशारा करते हुए मेटाफर की तरह से दिखाया गया है क्योंकि वो बुध्द की मूर्ति निकालता है उसका सिर जोड़ता है।
आरथी बार- बार थांगलान को सचेत करती है और वापस जाने को कहती है। थंगलान इसे दिमागी वहम समझता है।
साउथ इंडस्ट्री के सुपरहीरो विक्रम अपनी बेहतरीन अभिनय और गजब के परफॉर्मेंस की वजह से जाने जाते हैं फ़िल्म ‘अपरिचित’ और ‘आई’ में उनके किए किरदार हॉलीवुड को टक्कर देते हैं। इस बार थांगलान फिल्म में भी विक्रम अपने अभिनय और लुक की वजह से दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहे हैं। आदिवासी बने विक्रम अपने लुक की वजह से इस फ़िल्म में कभी ब्रह्मराक्षस तो कभी अघोरी का भी एहसास कराते हैं। विक्रम ने थांगलान में ग़ज़ब की जीवंत एक्टिंग की है। एक ही फ़िल्म में वह अनेक किरदारों में नजर आए हैं। अपनी गजब अभिनव क्षमता से वह दर्शकों को शुरु से अंत तक बांधे रखते हैं। वैसे एक्टिंग की बात की जाए तो विक्रम सहित पार्वती थिरुवोथु, मालविका मोहनन, डैनियल कैल्टागिरोन व तमाम सितारों ने अपने-अपने किरदार के साथ इंसाफ किया है. अभिनय में किसी में भी कोई कमी नजर नहीं आती. पा. रंजीत का निर्देशन भी जबरदस्त है. फिल्म के सीन को इस तरह फिल्माया गया है, जो दर्शकों को काफ़ी पसंद आ रही है।

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2 Responses

  1. Avatar Neeta says:

    A challenging attempt

  2. Avatar MMN Saxena says:

    It’s true story.
    Positive reviews

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